hindisamay head


अ+ अ-

कविता

पैसे का गीत

गोरख पांडेय


पैसे की बाँहें हजार अजी पैसे की
महिमा है अपरंपार अजी पैसे की

पैसे में सब गुण, पैसा है निर्गुण
उल्लू पर देवी सवार अजी पैसे की

पैसे के पंडे, पैसे के झंडे
डंडे से टिकी सरकार अजी पैसे की

पैसे के गाने, पैसे की गजलें
सबसे मीठी झनकार अजी पैसे की

पैसे की अम्मा, पैसे के बप्पा
लपटों से बनी ससुराल अजी पैसे की

मेहनत से जिंसें, जिंसों के दुखड़े
दुखड़ों से आती बहार अजी पैसे की

सोने के लड्डू, चाँदी की रोटी
बढ़ जाए भूख हर बार अजी पैसे की

पैसे की लूटें, लूटों की फौजें
दुनिया है घायल शिकार अजी पैसे की

पैसे के बूते, इंसाफी जूते
खाए जा पंचों ! मार अजी पैसे की


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में गोरख पांडेय की रचनाएँ